As an alternative to throwing them to the junkyard we have to learn how we are able to deal with, reuse and recycle our issues as a way to lower …
विषधर अब शांत स्वभाव का हो गया। वह किसी को काटना नहीं था।
अब्दुल को दूर से देखकर झटपट दौड़ उसके पास पहुंच जाया करती थी।
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश
उनकी अन्य कहानियां भी अपनी अनगढ़ता के बावजूद महत्वपूर्ण हैं.
वह किसी को परेशान नहीं करता, छोटे बच्चे भी उसे खूब प्यार करते थे।
बिच्छू स्वभाव का उग्र होता है। वह सदैव दूसरों को नुकसान पहुंचाता है। संत स्वभाव से शांत होता है। वह दूसरों का कल्याण करता है।
उसने रोते हुए कहा-आगे से शरारत नहीं करूंगा।
मोती कभी भी गाय को रोटी खिलाना नहीं भूलता। कभी-कभी स्कूल के लिए देर होती तब भी वह बिना रोटी खिलाए नहीं जाता ।
एक दिन सब से बड़ा भाई ने सावत्री को जानबूझकर एक छोटी सी रस्सी और छेद वाले घड़े में पानी लेने कुँए पर भेजा और समय पर न आने पर दंड देने की धमकी भी दी। कुँए पर पहुंच कर सावित्री रोने लगी। वहां एक सांप और मेंढक रहते थे जो सावित्री का रोआ सुन कर बहार आ गए.
सियार ने उस से अपनी जान बचाने की गुज़ारिश की। किसान को सियार पर दया आ गयी और उसने सियार को बर्तन से मुक्त कर दिया। सियार ने किसान को धन्यवाद दिया और किसान की मदद का वडा कर के वहां से चला गया।
अगर कबरी बिल्ली घर-भर में किसी से प्रेम करती थी तो रामू की बहू से, और अगर रामू की बहू घर-भर में किसी से घृणा करती थी तो कबरी बिल्ली से। रामू की बहू, दो महीने हुए मायके से प्रथम बार ससुराल आई थी, पति की प्यारी और सास की दुलारी, चौदह वर्ष की बालिका। भंडार-घर भगवतीचरण वर्मा
Graphic: Courtesy Amazon 1st printed in 1927, check here this Hindi fiction guide is actually a poignant exploration of social challenges and human thoughts in early twentieth-century India. The story revolves throughout the protagonist, Nirmala, a youthful and harmless bride who gets to be a victim of societal norms, customs, as well as prevailing patriarchy. Premchand skillfully weaves a narrative that delves in the severe realities confronted by Females in a conservative society. Nirmala’s journey is marked by tragedy, as she navigates through the complexities of the dysfunctional relationship, societal expectations, as well as challenges of being a girl in that period.